Vande Mataram
गीत का इतिहास
Vande Mataram गीत बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा भारत माता की स्तुति मैं लिखा गया है। भारत के राष्ट्रीय गीत के बोल के रूप में ‘Vande Mataram’ की पहली दो पंक्तियों को 1950 में भारत की संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था।
Vande Mataram का मूल संस्करण बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय/चटर्जी द्वारा लिखा गया था।
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को भारतीय और बंगाली इतिहास की घटनाओं, विशेषकर 1857 के विद्रोह और संन्यासी विद्रोह, जो एक सदी पहले हुआ था, में गहरी रुचि थी। 1876 में एक सरकारी अधिकारी के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, औपनिवेशिक प्रशासन ब्रिटिश भारत के राष्ट्रगान के रूप में “गॉड सेव द क्वीन” को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा था।
कहने की जरूरत नहीं है कि भारतीय राष्ट्रवादियों का विशाल बहुमत इस तरह के कदम के खिलाफ था। इस प्रकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने एक ऐसी कविता लिखी जो भारत की मूल पहचान को बरकरार रखते हुए इसके समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास को समाहित करेगी।
चट्टोपाध्याय ने संस्कृत और बंगाली के शब्दों का उपयोग करते हुए एक सहज सत्र में Vande Mataram लिखा, हालाँकि Vande Mataram मुख्यतः संस्कृत मैं लिखा गया है परन्तु कुछ शब्द बांग्ला भाषा के भी हैं।Vande Mataram 1882 में चट्टोपाध्याय की पुस्तक आनंदमठ (बंगाली में उच्चारित अनंदोमोह) में प्रकाशित हुई थी, जो संन्यासी विद्रोह की घटनाओं पर आधारित है।
Vande Mataram के लिखे जाने के तुरंत बाद जदुनाथ भट्टाचार्य को इसकी धुन तैयार करने के लिए कहा गया था।
आधुनिक Vande Mataram रचना, जैसा कि आज सुना जाता है, का श्रेय गंधर्व महाविद्यालय और अखिल भारतीय गंधर्व महाविद्यालय मंडल के संस्थापक वी. डी. पलुस्कर को दिया जाता है।
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