Vande mataram meaning in hindi : Everything you should know about the beautiful song 1

Vande Mataram meaning

Vande Mataram

सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम् शस्यशामलां मातरम् ।
शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीं फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं सुहासिनींसुमधुर भाषिणीं सुखदांवरदां मातरम् ।।१।।
वन्दे मातरम् ।

शब्दार्थ:

वन्दे मातरम्मातृभूमि को प्रणाम, सुजलांमीठा जल, सुफलांमीठे फल, मलयजचन्दन की, शीतलाम्सुन्दर वायु, शुभ्रज्योत्स्नचाँद की चांदनी, पुलकितआनंदित, यामिनींरात्रि, फुल्लखिले हुए, कुसुमपुष्प, द्रुमदलवृक्षों के दल, शोभिनींशोभा बड़ा रहे हैं, सुहासिनींहँसता हुआ मुख, सुमधुरअति मधुर, भाषिणींवाणी, सुखदांसुख देने वाली, वरदांवर देने वाली, मातरम्मातृभूमि ।

अनुवाद

हे माँ मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ। माँ तुम मीठे पानी से भरी हुई हो, मीठे फलों से भरी हुई हो, हे माँ तुम्हें मलय से आती हुई हवा शीतलता प्रदान करती है. हे माँ तुम फसल से ढकी रहती हो. हे माँ मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ।वो जिसकी रात्रि को चाँद की रौशनी शोभायमान करती है. वो जिसकी भूमि खिले हुए फूलों से सुसज्जित पेड़ों से ढकी हुई है।सदैव हंसने वाली, मधुर भाषा बोलने वाली. सुख देने वाली, वरदान देने वाली माँ. मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ।


कोटिकोटिकण्ठकलकलनिनादकराले कोटिकोटिभुजैर्धृतखरकरवाले, केन बोले तुमि अबले  ।बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं रिपुदलवारिणीं मातरम् ।। २ ।।
वन्दे मातरम् ।

शब्दार्थ:

कोटिकोटिकरोड़ों करोड़ों, भुजैर्धृतभुजायें, खरकरवालेहाथ में धारण करने वाले अस्त्र, अबलाबिना बल के, केनकिसने, बोलेबोलता है, तुमितुमको  बहुबलधारिणींबहुत बल धारण करने वाली, तारिणींतारने वाली, रिपुदलदुष्टों के दल, वारिणींसंहार करना।

अनुवाद

करोड़ों कंठ मधुर वाणी में तुम्हारी प्रशंसा कर रहे हैं। करोड़ों हाथों में तुम्हारी रक्षा के लिए धारदार तलवारें निकली हुई हैं. माँ कौन कहता है कि तुम अबला हो, तुम बल धारण की हुई हो। तुम तारने वाली हो, मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ। माँ तुम शत्रुओं को समाप्त करने वाली हो। माँ मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ।


तुमि विद्या, तुमि धर्म तुमि हृदि, तुमि मर्म त्वं हि प्राणा: शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति, हृदये तुमि मा भक्ति, तोमारई प्रतिमा गडि मन्दिरेमन्दिरे मातरम् ।। ३ ।।
वन्दे मातरम् ।

शब्दार्थ:

तुमितुम हीं, हृदिहृदय, मर्मतत्व, त्वं हितुम हीं, प्राणा: शरीरेशरीर में स्थित प्राण, बाहुते तुमि मा शक्तितुम ही बाँहों की शक्ति हो, हृदये तुमि मा भक्तिहृदय की भक्ति तुम ही हो,  तोमारईतुम्हारी ही, मन्दिरेमन्दिरेमंदिर मंदिर में।

अनुवाद

तुम हीं विद्या हो, तुम हीं धर्म हो, तुम हीं हृदय, तुम हीं तत्व हो। तुम हीं शरीर में स्थित प्राण हो। हमारी बाँहों में जो शक्ति है वो तुम ही हो। हृदय में जो भक्ति है वो तुम ही हो। तुम्हारी हीं प्रतिमा हर मन्दिर में गड़ी हुई है। माँ मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ।


त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी कमला कमलदलविहारिणी वाणी विद्यादायिनी, नमामित्वाम्नमामिकमलांअमलांअतुलांसुजलांसुफलांमातरम्।।४।।
वन्दे मातरम् ।

शब्दार्थ:

त्वं हि दुर्गातुम ही दुर्गा, दशप्रहरणधारिणीदस अस्त्र धारण करने वाली, कमलालक्ष्मी जी, कमलदलविहारिणीकमल पर आसीन, वाणी विद्यादायिनीवाणी एवं विद्या देने वाली ( सरस्वती जी ), नमामिप्रणाम है, त्वाम्तुमको,  कमलांधन देने वाली ( लक्ष्मी जी ), अमलांअति पवित्र, अतुलांजिसकी तुलना नहीं हो सकती है,  सुजलांमीठा जल, सुफलांमीठे फल।

अनुवाद

तुम ही दस अस्त्र धारण की हुई दुर्गा हो, तुम ही कमल पर आसीन लक्ष्मी हो, तुम वाणी एवं विद्या देने वाली ( सरस्वती ) हो , तुम्हें प्रणाम। तुम धन देने वाली हो, तुम अति पवित्र हो, तम्हारी कोई तुलना नहीं हो सकती है, तुम जल देने वाली हो, तुम फल देने वाली हो माँ हो।


श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषितां धरणीं भरणीं मातरम् ।। ५ ।।
वन्दे मातरम् ।

शब्दार्थ:

श्यामलांश्यामवर्ण, सरलांअति सरल, सुस्मितांसदैव हँसने वाली, भूषितांभूषित (आभूषण) धारण करने वाली, धरणींधारण करने वाली, भरणींपालनपोषण करने वाली।

अनुवाद

श्यामवर्ण वाली, अति सरल, सदैव हँसने वाली, भूषित धारण करने वाली,पालनपोषण करने वाली माँ तुम ही हो। माँ मैं तुम्हारी वन्दना करता हूँ।


Vande Mataram

गीत का इतिहास

Vande Mataram गीत बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा भारत माता की स्तुति मैं लिखा गया है। भारत के राष्ट्रीय गीत के बोल के रूप में ‘Vande Mataram’ की पहली दो पंक्तियों को 1950 में भारत की संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था।

Vande Mataram का मूल संस्करण बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय/चटर्जी द्वारा लिखा गया था।

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को भारतीय और बंगाली इतिहास की घटनाओं, विशेषकर 1857 के विद्रोह और संन्यासी विद्रोह, जो एक सदी पहले हुआ था, में गहरी रुचि थी। 1876 में एक सरकारी अधिकारी के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, औपनिवेशिक प्रशासन ब्रिटिश भारत के राष्ट्रगान के रूप में “गॉड सेव द क्वीन” को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा था।

कहने की जरूरत नहीं है कि भारतीय राष्ट्रवादियों का विशाल बहुमत इस तरह के कदम के खिलाफ था। इस प्रकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने एक ऐसी कविता लिखी जो भारत की मूल पहचान को बरकरार रखते हुए इसके समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास को समाहित करेगी।

चट्टोपाध्याय ने संस्कृत और बंगाली के शब्दों का उपयोग करते हुए एक सहज सत्र में Vande Mataram लिखा, हालाँकि Vande Mataram मुख्यतः संस्कृत मैं लिखा गया  है परन्तु कुछ शब्द बांग्ला भाषा के भी हैं।Vande Mataram 1882 में चट्टोपाध्याय की पुस्तक आनंदमठ (बंगाली में उच्चारित अनंदोमोह) में प्रकाशित हुई थी, जो संन्यासी विद्रोह की घटनाओं पर आधारित है।
Vande Mataram के लिखे जाने के तुरंत बाद जदुनाथ भट्टाचार्य को इसकी धुन तैयार करने के लिए कहा गया था।

आधुनिक Vande Mataram रचना, जैसा कि आज सुना जाता है, का श्रेय गंधर्व महाविद्यालय और अखिल भारतीय गंधर्व महाविद्यालय मंडल के संस्थापक वी. डी. पलुस्कर को दिया जाता है।

Bankim Chandra Chatterjee

24 जनवरी 1950 को भारत की संविधान सभा ने “Vande Mataramको राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया। इस अवसर पर, भारत के पहले राष्ट्रपति, राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि इस गीत को भारत के राष्ट्रीय गान, “जन गण मनके समान सम्मान दिया जाना चाहिए। हालाँकि, भारत के संविधान मेंराष्ट्रीय गीतका कोई उल्लेख नहीं है।राष्ट्रीय गीत मैं सम्मलित Vande Mataram की पंक्तियाँ पूर्णतः संस्कृत मैं हैं। 

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का 1896 का अधिवेशन सर्वप्रथम राजनीतिक आयोजन है जब Vande Mataram गाया गया। Vande Mataram प्रथम बार इसी अवसर पर रवीन्द्रनाथ टैगोर सत्र में गाया गया था।



मलयज शब्द का अर्थ

मलय दक्षिण भारत मैं पाए जाने वाली एक पर्वत श्रृंखला का नाम है जिसपर मुख्यतः चन्दन के वृक्ष हैं, इसलिए कवि ने प्रथम पंक्ति मैं मलयज शीतलाम शब्द का प्रयोग किया है जिसका अर्थ हुआ की भारत माँ की हवा चन्दन से सुगंदित है।

Malay hills
Chandan (majorly chandan trees are found in malay hills)

 


दुर्गा दशप्रहरणधारिणी शब्द का अर्थ

 

दुर्गा या आदिशक्ति, हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं। शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं। दुर्गा को आदि शक्ति, परम भगवती परब्रह्म बताया गया है।

मां दुर्गा के नौ रूप हैं:
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री.
दुर्गा सप्तशती के अनुसार, मां हाथों में अस्त्र धारण कर धरती पर असुरों का संहार करने और धर्म को स्थापित करने के लिए समय-समय पर विभिन्न रूपों में जन्म लेती रहेंगी।

Durga maa

अपने दस हाथों में दस शस्त्र धारण करनेवाली शत्रुसंहारिणी दुर्गा माँ को उपाधयाय जी भारत माँ के रूप मैं प्रस्तुत किया है।

दुर्गा के कुछ नाम:
सती, साध्वी, भवप्रीता, भवानी, भवमोचनी, आर्या, दुर्गा, जया, आद्या, त्रिनेत्रा.
दुर्गा के कुछ अन्य नाम:
ॐ दुर्गा, दुर्गतिशमनी, दुर्गाद्विनिवारिणी, दुर्ग मच्छेदनी, दुर्गसाधिनी, दुर्गनाशिनी, दुर्गतोद्धारिणी, दुर्गनिहन्त्री.

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